मुझको तुमसे प्यार है कितना कभी नहीं तुम
समझोगे
एक एक मिल एक होते हैं तभी नहीं तुम समझोगे
जैसे जल बिन मीन तड़पती वैसे मैं तड़पूं तुम बिन
कैसे तुम बिन मैं हूं अधूरी कभी नहीं समझोगे
बूंद बरसती है बादल से यह तो रीत पुरानी है
नीर बहा नैनो से कैसे कभी नहीं तुम समझोगे
दिल दिया तुमको ए दिलबर पर तुमने इनकार किया
दिल को दिल की चाह है कैसी कभी नही तुम समझोगे
कभी नहीं तुम समझे मुझको, तुम पर सब कुछ वार दिया
मैंने तुमको क्या क्या समझा, कभी नही तुम समझोगे
- अमित -

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