Friday, January 24, 2025

नमक बराबर नखरा...

 


देखना एकटक तुम्हारा मेरे चेहरे को नज़र भर

नज़र मिलते ही नज़र का फिर झुका लेना लजाकर

बात तो कुछ थी तुम्हारे देखने की उस अदा में

कर लिया था क़ैद मुझको नज़रों से नज़रें मिलाकर

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नमक बराबर नखरा है उनकी अदाओं में,

सुना है वो बड़े नमकीन है

उनसे कहना सम्भल के करे वादा--वफ़ा

हम भी आशिक बड़े नुक़्ताचीन है

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मैंने उससे बेइंतहा मुहब्बत कीउसके ख़ुमार में रहा

पर मेरी बाहों में सिमटकर भी वो बेक़रार सा रहा,

कौन कहता है मुहब्बत में तपिश नही होती

मुझसे लिपट कर वो कई दिनों तक बुख़ार में रहा...

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तेरे गुलाब जैसे चेहरे की रंगत का शुमार करता हूँ

तेरे जुबां से निकले मीठे लफ़्ज़ों पर ऐतबार करता हूँ

तेरा नाम लेते ही होंठ किसी चासनी में डूब जाते है

दिल में चराग--मुहब्बत जलाकर तेरा इंतज़ार करता हूँ

- अमित -

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