Sunday, March 16, 2025

बांसुरी....

मैं मौन बांसुरी हूँ,
इंतज़ार है मुझे किसी के होंठो के स्पर्श का
है संगीत मेरे अन्दर मौन सोया हुआ
खुद अपने आप में खोया हुआ
मैं साध्य भी हूँ , साधना का हेतु भी
मुझमे आहत नाद , मैं अनहद नाद का सेतु भी
मैं खुद में खाली, अवकाश से पूर्ण
संगीत जगता है मुझमे सम्पूर्ण
कोई मुझे अपने होंठो से लगाकर चूम ले
मुझमे जन्मे संगीत में झूम ले
तो वो खुदा हो जाए
खुद से जुदा हो जाए...

No comments:

Post a Comment

कैसे कह दूं कि चाँद मेरा है....

सुनी सुनाई बातों पर यकीन करने लगे तुम भी आसमान को ज़मीन करने लगे  ************ दो दिल गले मिलते है धड़कने बात करती है  मैं तेरा हूँ, तू मेरी ह...