Monday, December 30, 2024

मेरे मन के प्यासे अधरों को...

मेरे मन के प्यासे अधरों को, तेरे अधरों की प्यास लगी....
तेरे रूप का मादक यौवन, पी लूं पर मैं मुख न खोलूँ
जीवन की क्षण भंगुर बेला में, रास रंग का अमृत घोलूँ
मेरे जीवन की सांसों को, अब ये अंतिम आस लगी
मेरे मन के प्यासे अधरों को......

इन कटाक्ष नयनों से प्रियतम, मुझको मत बर्बाद करों
मुक्त ह्रदय से, मौन अधर से, प्रिय मुझसे संवाद करो
मेरे गीत की हर पंक्ति को, तेरे आने की प्यास लगी
मेरे मन के प्यासे अधरों को......

तेरे अधरों के कम्पन से, मन वीणा के तार बजे
तेरी हंसी की एक सरगम से, गीतों में है प्राण जगे
मत तडपाओ अब आ जाओ, मन को मन की आस लगी
मेरे मन के प्यासे अधरों को.....

- अमित -



Sunday, December 29, 2024

तेरी आशिक़ नज़र जब मेरे सिम्त उठती है



तेरी आशिक़ नज़र जब मेरे सिम्त उठती है

महशर बरपाती है मुझे तबाह करती है

महफ़िल में तेरी ग़ज़ल और उसके जलवे 

दिल मचल उठता है जुबां वाह वाह करती है

जवानी कब, कहां और किसकी सुनती है 

नकाम मुहब्बत हार कर मशवरा करती है

दरख्तों के साये में बैठ जवां दिल धड़कते है

मुहब्बत सिर पर सवार हो, कहां परवाह करती है

आरजुओं का क्या, मचलना काम है उनका

कैसे आराम पाऊं ये तुमसे सलाह करनी है 

- अमित -

 


कैसे कह दूं कि चाँद मेरा है....

सुनी सुनाई बातों पर यकीन करने लगे तुम भी आसमान को ज़मीन करने लगे  ************ दो दिल गले मिलते है धड़कने बात करती है  मैं तेरा हूँ, तू मेरी ह...