Friday, January 24, 2025

मुस्कुराहट की तितली...


उसके चेहरे की खूबसूरती ऐसे 

चांद से फूटती हो रोशनी जैसे 

उसके गुलाब से खूबसूरत चेहरे पर 

बैठी हो मुस्कुराहट की तितली जैसे 

शर्म के बोझ से  उठती उसकी पलकें

मैं मजबूर था उसमें समाता कैसे 

हक़ीक़त में उसकी मौजूदगी लगती है ऐसे 

चांद का एक अक्स ज़मीन पर हो जैसे 

वह महकता था खुशबू की तरह ख़यालों में 

यादों की कस्तूरी सीने में दबी हो जैसे


- अमित -

नमक बराबर नखरा...

 


देखना एकटक तुम्हारा मेरे चेहरे को नज़र भर

नज़र मिलते ही नज़र का फिर झुका लेना लजाकर

बात तो कुछ थी तुम्हारे देखने की उस अदा में

कर लिया था क़ैद मुझको नज़रों से नज़रें मिलाकर

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नमक बराबर नखरा है उनकी अदाओं में,

सुना है वो बड़े नमकीन है

उनसे कहना सम्भल के करे वादा--वफ़ा

हम भी आशिक बड़े नुक़्ताचीन है

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मैंने उससे बेइंतहा मुहब्बत कीउसके ख़ुमार में रहा

पर मेरी बाहों में सिमटकर भी वो बेक़रार सा रहा,

कौन कहता है मुहब्बत में तपिश नही होती

मुझसे लिपट कर वो कई दिनों तक बुख़ार में रहा...

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तेरे गुलाब जैसे चेहरे की रंगत का शुमार करता हूँ

तेरे जुबां से निकले मीठे लफ़्ज़ों पर ऐतबार करता हूँ

तेरा नाम लेते ही होंठ किसी चासनी में डूब जाते है

दिल में चराग--मुहब्बत जलाकर तेरा इंतज़ार करता हूँ

- अमित -

Thursday, January 23, 2025

साँस...


 तुम्हारा प्रेम सहज था सांसों की तरह,
तुम्हारा प्रेम क़ीमती था, जैसे साँसे कीमती होती है
तुम रोज आती थी जाने के लिए
सांसों की तरह
खींचकर अक्सर भर लेता था तुमको
खुद में साँसों की तरह
दो पल ठहर कर निकल जाती थी तुम
मेरे बंधन से जैसे सांस निकल जाती है
बहुत कोशिश की तुमको रोकने की खुद में
पर हाथ छुड़ाकर निकल जाना फितरत थी तुम्हारी
और एक दिन तुम निकल गई
वापस आने के लिए
और मैं तुम्हारे इंतज़ार में एक टक
देखता रहा खुली आंखों से...

- अमित -

कैसे कह दूं कि चाँद मेरा है....

सुनी सुनाई बातों पर यकीन करने लगे तुम भी आसमान को ज़मीन करने लगे  ************ दो दिल गले मिलते है धड़कने बात करती है  मैं तेरा हूँ, तू मेरी ह...