उसके चेहरे की खूबसूरती ऐसे
चांद से फूटती हो रोशनी जैसे
उसके गुलाब से खूबसूरत चेहरे पर
बैठी हो मुस्कुराहट की तितली जैसे
शर्म के बोझ से न उठती उसकी पलकें
मैं मजबूर था उसमें समाता कैसे
हक़ीक़त में उसकी मौजूदगी लगती है ऐसे
चांद का एक अक्स ज़मीन पर हो जैसे
वह महकता था खुशबू की तरह ख़यालों में
यादों की कस्तूरी सीने में दबी हो जैसे
- अमित -

